Thursday 17 November 2016

Don't Use The Refined Oil

रिफाइंड तेल का पूरा सत्य जरूर पढ़ें 


मित्रो क्या आपने कभी विचार नहीं किया ?

कि आखिर जिस Refined तेल से आप अपनी और अपने छोटे बच्चों की मालिश नहीं कर सकते , जिस Refined को आप बालों मे नहीं लगा सकते , आखिर उस हानिकारक Refined तेल को कैसे खा लेते हैं ?

2 मिनट समय देकर Refined तेल की पुरी कहानी जरूर पढ़ें ।
मित्रो आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइंड तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 30-35 वर्षों से हमारे देश में आया है | कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं | शुरुवात मे इन्होने चक्कर चलाया और टेलीविजन के माध्यम से जम कर प्रचार किया लेकिन लोगों ने इनकी बात को माना नहीं तब इन्होने डाक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू किया | डाक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइन तेल लिखना शुरू किया कि तेल खाना तो सफोला का खाना या सनफ्लावर का खाना, ये नहीं कहते कि तेल, सरसों का खाओ या मूंगफली का खाओ, अब क्यों, आप सब समझदार हैं समझ सकते हैं |

रिफाइंड तेल बनता कैसे हैं 

पहले ये जान लीजिये ये रिफाइंड तेल बनता कैसे हैं ? मैंने देखा है और आप भी कभी देख लें तो बात समझ जायेंगे | किसी भी तेल को रिफाइंड करने में 6 से 7 केमिकल का प्रयोग किया जाता है और डबल रिफाइंड करने में ये संख्या 12 -13 हो जाती है | ये सब केमिकल मनुष्य के द्वारा बनाये हुए हैं प्रयोगशाला में, भगवान का बनाया हुआ एक भी केमिकल इस्तेमाल नहीं होता, भगवान का बनाया मतलब प्रकृति का दिया हुआ जिसे हम ओरगेनिक कहते हैं |
तेल को साफ़ करने के लिए जितने केमिकल इस्तेमाल किये जाते हैं सब अजैव (Inorganic) हैं और अजैव (Inorganic) केमिकल ही दुनिया में जहर बनाते हैं और उनका संगठन (combination) जहर के तरफ ही ले जाता है | इसलिए रिफाइंड तेल, डबल रिफाइंड तेल गलती से भी न खाएं |

फिर आप कोन सा तेल इस्तेमाल करें 

फिर आप कहेंगे कि, क्या खाएं ? तो आप शुद्ध तेल खाइए, सरसों का, मूंगफली का, तीसी का, या नारियल का | अब आप कहेंगे कि शुद्ध तेल में बास बहुत आती है और दूसरा कि शुद्ध तेल बहुत चिपचिपा होता है | हमलोगों ने जब शुद्ध तेल पर काम किया या एक तरह से कहे कि रिसर्च किया तो हमें पता चला कि तेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक है | तेल में से जैसे ही चिपचिपापन निकाला जाता है तो पता चला कि ये तो तेल ही नहीं रहा, फिर हमने देखा कि तेल में जो बास आ रही है वो उसका प्रोटीन कंटेंट है, शुद्ध तेल में प्रोटीन बहुत है, दालों में ईश्वर का दिया हुआ प्रोटीन सबसे ज्यादा है, दालों के बाद जो सबसे ज्यादा प्रोटीन है वो तेलों में ही है, तो तेलों में जो बास आप पाते हैं वो उसका जैविक खाद (Organic Content) है

प्रोटीन के लिए | 4 -5 तरह के प्रोटीन हैं सभी तेलों में, आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है और चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका Fatty Acid गायब | अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल नहीं पानी है, जहर मिला हुआ पानी

रिफाइंड तेल को खाने से क्या नुक्सान हो सकता है 

रिफाइंड तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैंजैसे की घुटने दुखना, कमर दुखना, हड्डियों में दर्द, ये तो छोटी बीमारियाँ हैं, सबसे खतरनाक बीमारी है, हृदयघात (Heart Attack), पैरालिसिस, ब्रेन का डैमेज हो जाना, आदि, आदि | जिन-जिन घरों में पुरे मनोयोग से रिफाइन तेल खाया जाता है उन्ही घरों में ये समस्या आप पाएंगे, अभी तो मैंने देखा है कि जिनके यहाँ रिफाइंड तेल इस्तेमाल हो रहा है उन्ही के यहाँ Heart Blockage और Heart Attack की समस्याएं हो रही है |


सफोला का तेल लेबोरेटरी में टेस्ट

जब हमने सफोला का तेल लेबोरेटरी में टेस्ट किया, सूरजमुखी का तेल, अलग-अलग ब्रांड का टेस्ट किया तो AIIMS के भी कई डोक्टरों की रूचि इसमें पैदा हुई तो उन्होंने भी इसपर काम किया और उन डोक्टरों ने जो कुछ भी बताया उसको मैं एक लाइन में बताता हूँ क्योंकि वो रिपोर्ट काफी मोटी है और सब का जिक्र करना मुश्किल है, उन्होंने कहा तेल में से जैसे ही आप चिपचिपापन निकालेंगे, बास को निकालेंगे तो वो तेल ही नहीं रहता, तेल के सारे महत्वपूर्ण घटक निकल जाते हैं और डबल रिफाइन में कुछ भी नहीं रहता, वो छूँछ बच जाता है, और उसी को हम खा रहे हैं
तो तेल के माध्यम से जो कुछ पौष्टिकता हमें मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रहा है |

तेल के माध्यम से हमें क्या मिल रहा ?

मैं बता दूँ पहले आप ये जान लीजिये चिकनाहट भी दो तरह की होती है अच्छी चिकनाहट बुरी चिकनाहट । आपके चेहरे पर जो चमक है ,आपके घुटने हिलते डुलते है , आपके हाथ की उँगलियाँ मुड़ती है खुलती है ये सब अच्छी चिकनाहट के कारण है ,

कभी आप कोलोस्ट्रोल चैक करवाने जाएँ तो रिपोर्ट मे आप देखेंगे और डाक्टर आपको कहेगा आपका HDL (High Density Lipoprotein) बढ़ना चाहिए और LDL (LOW Density Lipoprotein) कम होना चाहिए ।
साधारण भाषा मे बोले तो HDL अर्थात अच्छी वाली चिकनाहट और LDL अर्थात गंदी वाली चिकनाहट । ( जो heart मे blockage करती है )
जो कि हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotein), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब | तो आप शुद्ध तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे |

 क्या है पामोलिन तेल हम सब क्यों  खा रहें है पामोलिन तेल  

अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है | मलेशिया नामक एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस में। वहां का एक तेल है जिसे पामोलिन तेल कहा जाता है, हम उसे पाम तेल के नाम से जानते हैं, वो अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा बिक रहा है, एक-दो टन नहीं, लाखो-करोड़ों टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है |
7 -8 वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दुसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATT समझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है | भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइये, रिफाइन तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है वो पामोलिन तेल है |

और जो पाम तेल खायेगा, मैं स्टाम्प पेपर पर लिख कर देने को तैयार हूँ कि वो ह्रदय सम्बन्धी बिमारियों से मरेगा | क्योंकि पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है और ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी खत्म नहीं होते हैं, किसी भी तापमान पर खत्म नहीं होते और ट्रांस फैट जब शरीर में खत्म नहीं होता है तो वो बढ़ता जाता है और तभी हृदयघात होता है, ब्रेन हैमरेज होता है और आदमी पैरालिसिस का शिकार होता है, डाईबिटिज होता है, ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है |

तो मित्रो अच्छी चिकनाहट) (HDL ) लेने के लिए हमेशा शुद्ध तेल खाएं पहाड़ो मे रहने वाले तिल का तेल सबसे बढ़िया , मैदानी क्षेत्र मे रहने वालों के लिए सरसों का तेल सबसे बढ़िया , और समुन्द्र के पास रहने वालों के लिए नारियल का तेल सबसे बढ़िया । इसके अतिरिक्त मूँगफली आदि का तेल भी प्रयोग कर सकते है ।

ज्यदा जानकारी के लिए  यहाँ click करें ।

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